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आरक्षण संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करने हेतु भारतीय बौद्ध महासभा ने नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन—————————————— भारतीय संविधान की मूल भावना एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 एवं 16 (4) के विरुद्ध है- सुनील दत्त

संवाददाता संदीप कुमार

रायबरेली

अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के उप वर्गीकरण आरक्षण संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को निरस्त कराए जाने के संबंध में भारतीय बौद्ध महासभा ने राष्ट्रपति महोदया को संबोधित एक ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा।भारतीय बौद्ध महासभा पंजीकृत उत्तर प्रदेश ने प्रांतीय नेतृत्व के आवाहन पर भारत गणराज्य की राष्ट्रपति माननीय द्रौपदी मुर्मू को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव को दिया। ज्ञापन देते हुए जिला अध्यक्ष डॉ सुनील दत्त ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा भारत की अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकार आरक्षण पर कुठाराघात करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों व जनजातियों के क्रीमीलेयर एवं जातीय उपवर्गीकरण कर आरक्षण व्यवस्था का जो फैसला दिनांक 1 अगस्त 2024 को दिया है, वो भारतीय संविधान की मूल भावना एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 एवं 16 (4) के विरुद्ध है। माननीय सुप्रीम कोर्ट को अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के पूर्व प्रदत्त आरक्षण में एडिशन, डिलीशन एवं मोडिफिकेशन का संवैधानिक कोई अधिकार नहीं है।

 

ज्ञापन के माध्यम से महामंत्री प्रमोद कुमार बौद्ध ने कहा कि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए की गई है, जबकि अभी भी एससी/ एसटी एवं आदिवासियों से छुआछूत, ऊंच-नीच, जातिभेद का दुर्व्यवहार किया जाता है। एक अगस्त को अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के आरक्षण के विरुद्ध क्रीमीलेयर एवं जातीय उपवर्गीकरण संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे भारतीय बौद्ध महासभा उत्तर प्रदेश सहित तमाम सामाजिक संगठनों में भयंकर जनाक्रोस है।ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के क्रीमीलेयर एवं उपवर्गीकरण संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने हेतु भारत सरकार संसद का एक विशेष अधिवेशन बुलाकर आरक्षण पूर्व की भांति रखे जाने और उसे संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की कार्यवाही करे। इस अवसर पर संगठन मंत्री शिवकुमार, रंजीत कुमार यादव आदि शामिल रहे।

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